Saturday, 14 April 2012


गणित विज्ञानं की सार्वभौमिकता
[श्रीनिवास रामानुजन के १२५वें जन्म वर्ष २०१२ को प्रधान मंत्री द्वारा राष्ट्रीय गणित वर्ष एवं २२ दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस  घोषित किये जाने के उपलक्ष्य में समर्पित]

विलम्ब से ही सही, २०१२ को राष्ट्रीय गणित वर्ष घोषित किये जाने पर गणित विज्ञानं के प्रति अंतरग  संवेदना का भाव प्रस्फुटित होना स्वाभाविक सा है क्योंकि इसी के साथ जीवन की गति जो बन गयी है|
गणित विज्ञानं की सार्वभौमिकता पर कुछ लिखनें के साहस की बात वहीँ से करना चाहता हूँ जहां पर ज्ञान एवं उर्जा का शास्वत एवं मौलिक स्रोत है|

वेदांग ज्योतिष के एक श्लोक के अनुसार-
यथा शिखा मयुरानाम ,नागानां मणयो यथा,
तद्वत वेदांग शास्त्रानाम ,गणित मूर्धनि स्थितम.
अर्थात जिस प्रकार मयूर के शिखर पर शिखा तथा नाग के शीर्ष पर मणि विद्यमान होती  है उसी प्रकार समस्त वेदों और पुरानो में गणित का स्थान सर्वोच्च है|
मानव विकास एवं सभ्यता के अस्तित्व के लिए गणित विज्ञानं का अध्यन, अध्यापन एवं शोध परम आवश्यक है|